एक तरफ हम चांद पर घर बसाने की बात करते हैं तो वहीं एक क्षेत्र ऐसा भी है जहां अभाव में लोग कंद-मूल खाकर गुजारा करते हैं। 120 लोगों के टोले में एक भी व्यक्ति साक्षर नहीं । रुपये की पहचान भी उसका रंग देखकर करते हैं। सरकार की कोई योजना आज तक यहां सिरे नहीं चढ़ी।
हम बात कर रहे हैं गया जिले के कठौतिया केवाल पंचायत के बिरहोर टोले की। प्रखंड से 15 किलोमीटर दूर जंगल में बसे बिरहोर जाति के लोग आज भी उपेक्षित हैं। बिहार में विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुके इस जाति के लोगों के विकास के लिए सरकार ने पहल तो की पर अपेक्षा से काफी कम। [ और पढ़े]
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