बिहार हमेशा से ही सूफी-संतों की कर्म और साधना स्थल रहा है| यहाँ सूफी-संतों ने मानव मन को वैचारिक पवित्रता प्रदान करने के लिए आध्यात्मिकता की अविरल धारा प्रवाहित की है. कैमूर की पावन धरती को सूफी-संतों ने चिंतन, मनन और आस्था को केंद्र एवं अपनी कर्मस्थली बनाया| हजरत बाबा खलील शाह चिश्ती साबिरी जैसे महान सूफी-संत ने भभुआ में अपने उपदेशों से दुनिया भर के लोगों के दिलों में इंसानियत, मोहब्बत, दयालुता और विनम्रता से समाज की सेवा करने का जज्बा जगाया|[और पढे]
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